शेर की खाल ओढ़कर गधा कभी शेर नहीं बन सकता । अनुकरण करना , हीन और डरपोक की तरह अनुसरण करना , कभी उन्नति के पथ पर आगे नहीं बढ़ सकता । वह तो मनुष्य के अधःपतन का लक्षण है । जब मनुष्य अपने - आप पर घृणा करने लग जाता है , तब समझना चाहिए कि उस पर अंतिम चोट बैठ चुकी है । जब वह अपने पूर्वजों को मानने में लज्जित होता है , तो समझ लो उसका विनाश निकट है । यद्यपि मैं हिन्दू जाति में एक नगण्य व्यक्ति हूँ तथापि अपनी जाति और अपने पूर्वजों के गौरव से मैं अपना गौरव मानता हूँ ।
अपने को हिन्दू बताते हुए , हिन्दू कहकर अपना परिचय देते हुए मुझे एक प्रकार का गर्व - सा अनुभव होता है । ... अतएव भाइयों , आत्मविश्वासी बनो । पूर्वजों के नाम से अपने को लज्जित नहीं , गौरवान्वित समझों । याद रहे , किसी का अनुकरण कदापि न करो ।
- स्वामी विवेकानन्द
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सोमवार, 19 मार्च 2012
अपने को हिन्दू बताते हुए मुझे गर्व का अनुभव होता है - स्वामी विवेकानन्द
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जय माँ भारती,,,,,बहुत बढ़िया लेख है ,,,धन्यवाद
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