रविवार, 13 मार्च 2011

क्या गांधी जी राष्ट्रपिता हैँ !

गांधी जी के कट्टर भक्त, भारत की केन्द्रिय सरकार और कुछ हमारे अपने भारतवासी जो भारत की संस्कृति और इतिहास से अनभिज्ञ हैँ गांधी जी को राष्ट्रपिता कहते हैँ । गांधी जी भी अपने आपकोँ राष्ट्रपिता कहलाने मेँ गर्व का अनुभव करते थे । भारत एक सनातन राष्ट्र हैँ और यहाँ की संस्कृति अरबोँ वर्ष पुरानी हैँ । इससे पुराना राष्ट्र विश्व मेँ कोई दूसरा नहीँ हैँ, तो फिर इसका पिता अट्ठारहवीँ - उन्नीसवीँ ईसाई सदी मेँ कैसे पैदा हो सकता हैँ ! यह महान आश्चर्य की बात है कि अरबोँ वर्षो से यह राष्ट्र बिना पिता के कैसे चल रहा था ?
राष्ट्रपिता की अवधारणा पाश्चात्य मैकालेवाद की देन हैँ । भारत की संस्कृति तो पृथ्वी को, जन्म भूमि को माता के रूप मेँ देखती हैँ और अपने आपकोँ उसका पुत्र मानती हैँ । यदि हम पाश्चात्य अवधारणा पर ही विचार करेँ, तो जो अन्न, विद्या और सुशिक्षा आदि का दान देकर पालन - पोषण और रक्षण करता हैँ, वहीँ पिता कहलाता हैँ । तो क्या गांधी जी ने शास्त्र की आज्ञानुसार इस राष्ट्र का पोषण और रक्षण किया था जो वह राष्ट्रपिता हुये ? जबकि वास्तव मेँ गांधी जी एक ऐसे अहिँसक मसीहा थे जिन्होँने अपने निजी स्वार्थ के लिये स्वतंत्र अखण्ड भारत के उपासक सच्चे देशभक्तोँ को नष्ट कराया और बाद मेँ भारत माता को भी टुकडोँ मेँ विभाजित करा दिया । यदि गांधी जी चाहते तो पाकिस्तान नहीँ बनता ।
गांधी जी इस राष्ट्र के पिता हैँ, तो यह राष्ट्र उनका पुत्र हुआ और जो अपने पुत्र के टुकडे करा देँ, वह पुत्र का रक्षक हुआ या भक्षक ? वास्तव मेँ गांधी जी इस राष्ट्र के पिता तो क्या पुत्र कहलाने के लायक भी नहीँ थे, क्योँकि पुत्र वह होता हैँ जो अपने पिता को दुर्गति से बचाता हैँ । आधुनिक भारत राष्ट्र की दुर्गति करने वाले ही सिर्फ गांधी जी थे, इसलिए वे इस राष्ट्र के पिता तो क्या, पुत्र भी कहलाने के अधिकारी नहीँ हैँ ।
- विश्वजीत सिंह 'अनंत'

18 टिप्‍पणियां:

  1. बिल्कुल सही कहा अंकित जी , यही बात वीर महात्मा नाथूराम जी गोडसे ने कही थी । यदि गांधी राष्ट्र का पिता तो क्या पुत्र भी होता तो, अखण्ड भारत के अनन्य उपासक, सच्चे समाज सुधारक और यशस्वी पत्रकार महात्मा गोडसे को गांधी की छत्र-छाया से भारत को बचाने के लिए अपने सेवाभावी हाथोँ मेँ शस्त्र न उठाना पडता ।

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    1. यह हमारी सनातन संस्कृति है ........... बुजुर्गों को सम्मान देने की ..........हमें अपनी संस्कृति नहीं छोडनी यदि हमारे ऊपर लादी विकृति हटानी है तो ...........

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  3. गांधी की भर्त्सना नहीँ की जा रही बल्कि सत्य का संवाद किया जा रहा हैँ । गांधी ने अपने अफ्रिका प्रवास के दौरान कुछ अच्छे काम भी किये थे, इसलिए उनके साथ जी लगाया हैँ, बाद मेँ गांधी के अन्दर अहंकार बलवती हो गया और वह अपने विचारोँ, मान्यताओँ को आँख बन्द कर सही मानने लगे तथा दूसरोँ की तुलना मेँ इसकी सवौच्चता तय करने लगे जिससे एक - दूसरे के प्रति विद्वेष ( नफरत ) तथा नफरत का जन्म हुआ । गांधी जी ने तो खिलापत आन्दोँलन ( जिसका भारत या भारत के मुस्लमानोँ से कोई सम्बंध नहीँ था ) का समर्थन कर पाकिस्तान का आधार तो जिन्ना से भी पहले रख दिया था । विभाजन का घाव तो एक दो पीढियोँ बाद भर जाता, लेकिन दो धर्म, दो देश पर उसके दुष्प्रभावोँ ने नफरत की शक्ल मेँ जडे जमा ली हैँ जो समय बितने के साथ ओर मजबूत ही हुई हैँ । यदि भारत गांधीवाद के पाखण्ड मेँ न फंसा होता तो आज देश की स्थिति कुछ ओर ही होती ।

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  4. dada aap to sardar film dekho jise congress ne ban karwa diya.

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  5. किसी के प्रतिबंध लगाने से सच मिटा नहीँ करता , कुछ समय के लिए वह सूर्य के कोहरे की तरह अदृश्य तो हो सकता हैँ लेकिन फिर वापस प्रचण्ड वेग से प्रकट होता है तो वह झुट के सभी परदोँ को नष्ट कर देता हैँ ।

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  6. Gandhi ? ?? gandhi is desh ko mila ek abhishaap hae, gandhi hinduon ka durbhagya hae jisne porbandar se nikal kar hindutv ko yugo yugo tak na mitne wali apoorniya khsati pahunchai. gandhi ek gali hai jise rashtrdrohiyon n mahatma naam dene ka avismarniyaar aur ghor paap kiya hae. sankshep me gandhi ek sharap hae jo is desh ko bhugatna pada aur aane waalei naa jaane kitnei peedhiyan bhugtengi. muslimon dwara jab bharat ko islamic raashtr bananne k kutsit prayatn honge to we sab gandhi ki hi den hogi. .. DHARTI MAATA ko is bojh se mukt karne wale shaheed mahatma nathuram ji godse ko mera pranaam. ..

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  7. gandhi is father of pakisataan gandhi is not gud indian gandhi gandghi tha sukrh hau shri 108 natu ram godsae ka ki gandhi ko tapka diya warna ye gandhi ki gandhgi desh ko barbaad kar deti

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  8. आप लोगों के महान विचार पढ़ कर मुझे बड़ी खुशी हुई, चलो तुम लोगों ने गांधी जी की बुराई तो कर ली अब जरा अपनी भी तो करो देखता हूँ तुम लोग क्या कर रहे हो समाज के लिए?

    सच तो यह है कि तुम सिर्फ बातें कर सकते हो, तुम्हारी नसों में पानी बहता है, इतने ही समाज के चिन्तक हो तो दो धरना अन्ना हजारे के साथ लोकपाल बिल के लिए - है औकात? महात्मा गांधी को गाली दे सकते हो पर खुद कुछ कर नहीं सकते,नपुंसक हो तुम !!!

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  9. योगेन्द्र भाई हमने गांधी जी की बुराई नहीं की हैं बल्कि उस सच को सामने लाने का प्रयास किया हैं जिसे हमारे देश का बुद्धिजीवी वर्ग छिपाता हैं । मैं देश के नागरिको को धर्म के नाम पर सबसे बाटना सबसे बडा पाप समझता हूँ और यही पाप जाने - अनजाने गांधी जी ने किया था । यदि आपकों मेरा सच बोलना बुराई करना लगता हैं तो जो विचार गांधी जी के प्राणप्रिय अनन्य भक्त जवाहर लाल नेहरू ने कनाडा के प्रधानमंत्री लेस्टर पीयरसन की भारत यात्रा के दौरान व्यक्त किये थे वह क्या थे ! सन 1955 में दिल्ली यात्रा के दौरान मुझे नेहरू को ठीक - ठीक समझने का अवसर मिला था मुझे वह रात याद है , जब गार्डन पार्टी में हम दोनों साथ बैठे थे , रात के सात बज रहे थे और चाँदनी छिटकी हुई थी । उस पार्टी में नाज गाने का कार्यक्रम था । नाच शुरू होने से पहले नृत्यकार दौडकर आये और उन्होंने नेहरू के पाँव छुए फिर हम बात करने लगे । उन्होंने गांधी के बारे में चर्चा की , उसे सुनकर मैं स्तब्ध रह गया । उन्होंने बताया कि गांधी कैसे कुशल अभिनेता थे ? उन्होंने अंग्रेजों को अपने व्यवहार में कैसी चालाकी दिखाई ? अपने इर्द - गिर्द ऐसा घेरा बुना , जो अंग्रेजों को अपील करें । गांधी के बारे में मेरे सवाल के जबाब में उन्होंने कहा - Oh , that awful old hypocrite । नेहरू के कथन का अभिप्राय हुआ - " ओह ! वह भयंकर ढोंगी बुड्ढा " ।
    इस भेट की चर्चा , उन्होंने अपनी पुस्तक " द इन्टरनेशनल हेयर्स " में की हैं । इस प्रसंग को सूर्यनारायण चौधरी द्वारा लिखित पुस्तक " राजनीति के अधखुले गवाक्ष " में भी पढा जा सकता हैं , यह पुस्तक ग्रन्थ विकास , 37 - राजापार्क , आदर्शनगर जयपुर से प्रकाशित हैं ।
    मित्रवर टिप्पणी का कलेवर लम्बा हो जाने के कारण मैं इस पर एक लेख अलग से लिखकर आपकी संतुष्टि करूंगा ।
    वैसे मित्रवर मैं अपने निजी जीवन में समाज के जाति - पाति के कोढ को दूर करने में प्रयास रत हूँ । वन्दे मातरम्

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  10. आपकी उम्र क्या है?

    मुझे आपसे किसी सवाल का जबाब नहीं चाहिए, सिर्फ मुझे इतना बताइए कि आप क्या कर रहे हैं, देश के लिए जो किसी और पर लांछन लगा रहे हैं?

    इतनी ही चिंता है देश की तो अन्ना हजारे जी के साथ जंतर-मंतर पर जा कर क्यूँ नहीं बैठते?

    यदि आप कुछ कर नहीं सकते तो किसी और के लिए बोलिए भी मत|

    यदि इतनी ही हिम्मत रखते हैं तो लिखिए आज के राजनेताओं के खिलाफ जो सच में देश को बर्बाद कर रहे हैं, आप उनके बारे में नहीं लिखेंगे क्यूंकि वो आपकी ऐसी-तैसी कर देंगे,

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  11. योगेन्द्र भाई मेरी शारीरिक उम्र आपसे लगभग एक वर्ष अधिक हैं । लगता हैं आपके अन्दर सच को सहन करने की शक्ति नहीं हैं । मैं गांधी जी का विरोधी नहीं हूँ , गांधी जी के ग्राम स्वराज का मैं पूर्ण समर्थक हूँ लेकिन भारत के नागरिकों को धर्म के आधार पर देखने - बाटने के गांधी जी के कृत्य का विरोधी हूँ ।
    मैं अन्ना हजारे के जन लोकपाल विधेयक रूपी देव कार्य का समर्थन करता हूँ और इसके लिए पिछले कल से तीन दिन के लिए दिल्ली एन. सी. आर. में हूँ , आप भी आईये आपका भी स्वागत हैं ।
    कृपया मेरे ब्लॉग पर " ऐसी की तैसी " जैसी असभ्य भाषा का प्रयोग न करें । मैं आपकों बता देना चाहता हूँ कि आधुनिक राजनेत्री सोनिया गांधी पर मैंने एक लेख " सुदर्शन के बयान पर तनाव क्यों " शीर्षक से www.vishwajeetsingh1008.blogspot.com पर लिखा हैं , उसे पढें , शायद आपकी शिकायत दूर हो जाये । मेरा पास इतना समय नहीं हैं कि मैं बार - बार आपकी टिप्पणी का उत्तर देता रहूँ । यदि आपकों गांधी जी के सम्पूर्ण पक्ष को जानना है तो आपकों महान साहित्यकार गुरूदत्त का साहित्य विशेष रूप से " भारत गांधी नेहरू की छाया में " , नाथूराम गोडसे की पुस्तक " गांधी वध क्यों " , सत्यान्वेषी शिवानन्द की पुस्तक " गांधी और नेहरू भारत के लिए वरदान या अभिशाप " पढनी चाहिये , आपका भ्रम दूर हो जायेगा ।

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  12. gnadhi ji ke upar yeh sabhi tippadiyan galat hain ve ek sacche bhartiy the jinhine bharat ko azadi dilyi

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